गावं के बड़े बुजुर्गों का कहना है की श्री नाथ जी महाराज एक परम तपस्वी संत थे जो सत्रहवी शताब्दी में गावं आये और जहाँ पे मंदिर है उसी स्थान पर रहने लगे। यह स्थान मठिया (साधुओं का मठ) के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ पहले से ही कृपा बाबा रहते थे, नाथ जी इनके साथ रहने लगे और गावं के लोगों को ज्ञान, गीता के उपदेश, रामचरित्रमानस पाठ सुनाते थे। नाथ जी के बारे में कहा जाता है की वे चमत्कारी और रहस्मय संत थे। नाथ जी नरहन गावं में अपने चमत्कारी शक्ति से कई बार लोगों की मदत की हैं। कुछ साल रहने के बाद नाथ जी जिन्दा समाधि लिये और समाधि के स्थान पर ही मंदिर का निर्माण हुआ । मंदिर में उनकी समाधि का ही पूजा होता है।
श्री नाथ जी महाराज जी के मंदिर का प्रांगण है , यहाँ पर गावं की गोष्ठी होती है और गोष्ठी में हर तरह के लोग (छोटे, बड़े), और बच्चे भी हिस्सा लेते है और सभी तरह मुद्दों पर विचार-विमर्श होती है जैसे- राजनीती, समाजिक,विज्ञान , मंदी, महंगाई, बेरोजगारी, खेल, फ़िल्म,जमींसे लेकर आसमान तक की बाते करते हैं । हर शनिवार के रात में कीर्तन,लोक गीत (चैता,सोठी, बिरहा, निर्गुण)आदि होता है । नाथ जी का यही प्रांगण है जो हमारे गावं की परम्परिक लोक गीत को बचाए हुए है।
सोमारनाथ स्वामी जी महाराज का मंदिर